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प्राकृतिक आपदाओं से फसल नुकसान होने पर किसानों को मिलेगा बम्पर मुआवजा, ऐसे करें आवेदन

प्राकृतिक आपदाओं से फसल नुकसान होने पर किसानों को मिलेगा बम्पर मुआवजा, ऐसे करें आवेदन

खेती किसानी एक ऐसा व्यवसाय है जिसमें हमेशा अनिश्चितताएं बनी रहती हैं। कभी भी मौसम की मार किसानों की साल भर की मेहनत पर पानी फेर सकती है। मौसम की बेरुखी के कारण किसानों को जबरदस्त नुकसान झेलना पड़ता है।

अगर पिछले कुछ दिनों की बात करें तो देश भर में मौसम ने अपना कहर बरपाया है, जिससे लाखों किसान बुरी तरह से प्रभावित हुए हैं। कई दिनों तक चली बरसात और ओलावृष्टि के कारण किसानों की फसलें तबाह हो गईं। 

सबसे ज्यादा नुकसान गेहूं, चना, मसूर और सरसों की फसलों को हुआ है। ऐसे नुकसान से बचने के लिए सरकार ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना चलाई है, जिससे किसानों को हुए नुकसान की भरपाई आसानी से की जा सकती है।

लेकिन कई बार देखा गया है कि किसान इस योजना के साथ नहीं जुड़ते। ऐसे में किसानों को सरकार अपने स्तर पर अनुदान देती है ताकि किसान अपने पैरों पर खड़े रह पाएं। 

किसानों को हुए नुकसान की भरपाई के लिए बिहार की सरकार ने 'कृषि इनपुट अनुदान योजना' चलाई है। इस योजना के तहत यदि किसानों की फसलों को प्राकृतिक आपदा के कारण किसी भी प्रकार का नुकसान होता है तो सरकार अनुदान के रूप में किसानों को 13,500 रुपये की आर्थिक सहायता प्रदान करेगी। 

यह मदद ऐसे किसानों को दी जाएगी जो सिंचित इलाकों में खेती करते हों। इसके साथ ही 'कृषि इनपुट अनुदान योजना' के अंतर्गत असिंचित इलाकों में खेती करने वाले किसानों को फसल नुकसान पर 6,800 रुपये की आर्थिक सहायता उपलब्ध करवाई जाएगी। 

राज्य के ऐसे कई इलाके हैं जहां पर नदियों से आने वाली रेत के कारण फसल चौपट हो जाती है। ऐसे किसानों को फसल नुकसान पर 12,200 रुपये का अनुदान दिया जाएगा।

कृषि इनपुट अनुदान योजना का लाभ लेने के लिए ये किसान कर सकते हैं आवेदन

कृषि इनपुट अनुदान योजना का लाभ लेने के लिए किसान को बिहार का स्थायी निवासी होना जरूरी है। इसके साथ ही किसान के पास खुद की कम से कम 2 हेक्टेयर कृषि भूमि होना चाहिए। 

डीबीटी के माध्यम से अनुदान ट्रांसफर करने में आसानी हो, इसके लिए किसान का बैंक खाता उसके आधार कार्ड नंबर से लिंक होना चाहिए। 

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योजना का लाभ लेने के लिए ये दस्तावेज होंगे जरूरी

इस योजना का लाभ लेने के लिए किसान के पास आधार कार्ड, पैन कार्ड, निवास प्रमाण पत्र, वोटर आई डी, मोबाइल नंबर, पासपोर्ट साइज फोटो, घोषणा पत्र, आय प्रमाण पत्र, निवास प्रमाण पत्र आदि होना जरूरी है। इन सभी चीजों का विवरण आवेदन करते समय देना अनिवार्य है।

कृषि इनपुट अनुदान योजना का लाभ लेने के लिए ऐसे करें आवेदन

प्राकृतिक आपदाओं से फसल को होने वाले नुकसान का अनुदान प्राप्त करने के लिए किसान भाई बिहार के कृषि विभाग की वेबसाइट https://dbtagriculture.bihar.gov.in/ पर जाकर ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। 

इस वेबसाइट पर जाकर किसान खुद को रजिस्टर कर सकते हैं। इसके साथ ही आवेदन करने के लिए अपने जिले के कृषि विभाग के कार्यालय, वसुधा केंद्र या जन सेवा केंद्र पर भी संपर्क कर सकते हैं।

बिहार सरकार मशरूम की खेती के लिए 50 प्रतिशत अनुदान प्रदान कर रही है

बिहार सरकार मशरूम की खेती के लिए 50 प्रतिशत अनुदान प्रदान कर रही है

बतादें कि वर्तमान में बिहार सरकार मशरूम के ऊपर विशेष ध्यान केंद्रित कर रही है। बिहार सरकार का कहना है, कि मशरूम की खेती से राज्य के लघु एवं सीमांत किसानों की आमदनी में इजाफा किया जा सकता है। बिहार राज्य में किसान पारंपरिक फसलों समेत बागवानी फसलों का भी जमकर उत्पादन करते हैं। यही कारण है, कि बिहार मखाना, मशरूम, लंबी भिंडी और शाही लीची के उत्पादन में अव्वल दर्जे का राज्य बन चुका है। हालांकि, राज्य सरकार से किसानों को बागवानी फसलों की खेती करने के लिए बंपर सब्सिडी भी दी जा रही है. इसके लिए राज्य सरकार प्रदेश में कई तरह की योजनाएं चला रही हैं. इन योजनाओं के तहत किसानों को आम, लीची, कटहल, पान, अमरूद, सेब और अंगूर की खेती करने पर समय- समय पर सब्सिडी दी जाती है।

हजारों की संख्या में किसान अपने घर के अंदर ही मशरूम उगा रहे हैं

बतादें कि मशरूम बागवानी के अंतर्गत आने वाली फसल है। साथ ही, मशरूम की खेती में काफी कम खर्चा आता है। मशरूम उत्पादन हेतु खेत व सिंचाई की भी कोई आवश्यकता नहीं होती है। यदि किसान भाई चाहें तो अपने घर के अंदर भी मशरूम का उत्पादन कर सकते हैं। फिलहाल, बिहार में हजारों की तादात में किसान घर के अंदर ही मशरूम का उत्पादन कर रहे हैं। इससे उनको काफी अच्छी-खासी आमदनी भी हो रही है। दरअसल, मशरूम अन्य सब्जियों जैसे कि लौकी, फूलगोभी और करेला आदि की तुलना में महंगा बिकता है। अब ऐसी स्थिति में मशरूम की खेती करने पर किसानों को कम खर्च में अधिक मुनाफा होता है। यही वजह है, कि बिहार सरकार मशरूम की खेती पर अधिक ध्यान केंद्रित कर रही है।

मशरूम कम्पोस्ट उत्पादन पर 50 फीसद अनुदान

वर्तमान में बिहार राज्य के मशरूम उत्पादकों के लिए काफी अच्छा अवसर है। बतादें, कि फिलहाल कृषि विभाग एकीकृत बागवानी विकास मिशन योजना के अंतर्गत मशरूम कम्पोस्ट उत्पादन पर 50 प्रतिशत अनुदान मुहैय्या करा रही है। मुख्य बात यह है, कि राज्य सरकार द्वारा कंपोस्ट उत्पादन के लिए इकाई लागत 20 लाख रुपए तय की गई है। उद्यान निदेशालय की आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर आवेदन कर किसान भाई इस योजना का लाभ उठा सकते हैं। यह भी पढ़ें: बिहार में मशरूम की खेती कर महिलाएं हजारों कमा हो रही हैं आत्मनिर्भर

बिहार में पिछले साल हजारों टन मशरूम की पैदावार हुई थी

बिहार राज्य में बागवानी फसलों को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकार निरंतर कुछ न कुछ योजना जारी कर रही है। बिहार सरकार किसानों की आमदनी को बढ़ाने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है। अगर किसान भाई चाहें, तो अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए प्रखंड उद्यान पदाधिकारी अथवा अपने जनपद के सहायक उद्यान निदेशक से सम्पर्क साध सकते हैं। बतादें, कि बिहार मशरूम उत्पादन के मामले में भारत के अंदर प्रथम स्थान पर है। इसके उपरांत दूसरे स्थान पर ओडिशा आता है। विगत वर्ष बिहार में 28000 टम मशरूम की पैदावार हुई थी।
सब्जी उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए इस राज्य में 75 फीसद अनुदान

सब्जी उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए इस राज्य में 75 फीसद अनुदान

बिहार में सब्जियों की पैदावार को ज्यादा करने एवं किसानों की सहायता करने के मकसद से राज्य सरकार सब्जी विकास योजना चला रही है। इस योजना के तहत सरकार बीजों की खरीद पर 75 फीसद का अनुदान प्रदान कर रही है। बिहार में कृषकों ने सब्जी की खेती को बढ़ावा देने के लिए रबी फसलों के साथ ही सब्जी की बिजाई चालू कर दी है। सरकार भी उनका सहयोग कर रही है, जिससे कि पैदावार क्षमता के साथ किसानों की आमदनी बढ़ सके। इसके साथ-साथ सरकार सब्जी पैदावार के क्षेत्र में प्रोत्साहन के लिए अनुदान प्रदान कर रही है। 

साथ ही, जयादा से ज्यादा संख्या में कृषकों को सब्जी विकास योजना के अंतर्गत बीज उत्पादन के लिए प्रोत्साहित करने की योजना तैयार कर रही है। बिहार सरकार ने सब्जी विकास योजना की शुरुआत की है, जिसके अंतर्गत विभिन्न सब्जियों की खेती के लिए अनुदान प्रदान किया जाएगा। इस योजना के तहत कृषकों को उच्च मूल्य वाली सब्जियों के बीजों के वितरण के लिए अनुदान मिलेगा। सरकार सब्जियों में बिना बीज के खीरा, बैंगन एवं बाकी सब्जियों की खेती पर भी अनुदान प्रदान कर रही है। इसके लिए ऑनलाइन आवेदन प्रक्रिया भी चालू हो चुकी है। इच्छुक किसानों को आवेदन करने का अवसर मिला है, जिससे कि वे इस योजना का फायदा उठा सकें।

सरकार बीजों पर 75 प्रतिशत तक अनुदान प्रदान कर रही है

बिहार सरकार की तरफ से सब्जियों की उन्नत प्रजाति के बीजों पर कृषकों को धनराशि देने का निर्णय किया गया है, जिसमें 75 फीसद अनुदान करके उच्च मूल्य वाले खीरे एवं बैंगन की इकाई लागत शम्मिलित है। सब्जी विकास योजना के तहत किसानों को एक उप-अवयव में निर्धारित सीमा तक धनराशि प्रदान की जाएगी। सब्जी के 1,000 से 10,000 तक के खरीद पर धनराशि प्रदान की जाएगी। किसानों को 0.25 एकड़ से 2.5 एकड़ तक की सब्जी खेती के बीज पर भी धनराशि प्रदान की जाएगी।

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आवेदन ऑनलाइन माध्यम से करना पड़ेगा

उद्यान पदाधिकारी सूरज पांडेय का कहना है, कि सब्जी विकास योजना का फायदा लेने के लिए किसानों को ऑनलाइन आवेदन करना पड़ेगा। उन्होंने बताया कि यह प्रक्रिया अब चालू कर दी गई है। उन्होंने बताया है, कि जिन कृषकों के पास जो योजना का फायदा उठाना चाहते हैं, तो उनके समीप पूर्व से ही 13 अंकों के डीबीटी संख्या होनी जरूरी है। बतादें, कि जिन कृषकों के पास यह तादात नहीं हो, वे आधिकारिक वेबसाइट dbtagriculture.bihar.gov.in पर पंजीकरण करके इस संख्या की प्राप्ति कर सकते हैं। पंजीकरण संख्या हांसिल होने के पश्चात, किसान horticulture.bihar.gov.in वेबसाइट के लिंक पर जाकर ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं।

इस राज्य के किसानों को फसल विविधीकरण योजना के तहत 50% फीसदी अनुदान

इस राज्य के किसानों को फसल विविधीकरण योजना के तहत 50% फीसदी अनुदान

फसल विविधीकरण योजना के अंतर्गत सुगंधित एवं औषधीय पौधों के प्रत्यक्षण के लिए ऑनलाइन आवेदन 22 जनवरी 2024 से चालू हो गए हैं। बिहार सरकार कृषकों को फसल विविधीकरण करने के लिए बढ़ावा दे रही है। इससे ना केवल उनकी आमदनी बढ़ेगी बल्कि पर्यावरण को भी संरक्षित किया जाऐगा। इस योजना के चलते किसानों को सुगंधित और औषधीय पौधों की खेती करने से ज्यादा धनराशि मिल सकती है। किसानों को योजना के अंतर्गत पचास फीसद तक अनुदान मिल रही है।

इन फसलों की खेती को प्रोत्साहित किया जा रहा है 

बिहार सरकार तुलसी, शतावरी, लेमन ग्रास, पाम रोजा और खस की खेती को फसल विविधीकरण के अंतर्गत प्रोत्साहन प्रदान कर रही है। 22 जनवरी 2024 से योजना के लिए ऑनलाइन आवेदन करना प्रारंभ हो गया है। बिहार के 9 जनपदों के किसान इस योजना का फायदा उठा सकते हैं। इस योजना का फायदा बिहार के नौ जनपदों के कृषकों को प्राप्त हो सकता है। इन जनपदों में पश्चिम चम्पारण, नवादा, सुपौल, सहरसा, खगड़िया, वैशाली, गया, जमुई और पूर्वी चम्पारण शम्मिलित हैं। योजना का फायदा उठाने के लिए इच्छुक किसान सुगंधित एवं औषधीय पौधों का क्षेत्र विस्तार कर सकते हैं, जिसका रकबा कम से कम 0.1 हेक्टेयर और अधिकतम 4 हेक्टेयर हो सकता है।

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कृषकों को 50 प्रतिशत अनुदान प्रदान किया जा रहा है   

बिहार के उद्यान निदेशालय ने फसल विविधीकरण योजना को लेकर सोशल मीडिया पर एक पोस्ट भी साझा की है, जिसमें कहा गया है कि किसानों को लेमनग्रास, पाम रोजा, तुलसी, सतावरी एवं खस की खेती करने के लिए 50% प्रतिशत अनुदान मुहैय्या कराया जाऐगा। अगर इसकी इकाई की लागत 1,50,000 रुपये प्रति हेक्टेयर है। बतादें, कि कृषकों को इस पर 50% प्रतिशत मतलब कि 75 हजार रुपये का अनुदान दिया जाऐगा।

योजना का लाभ हांसिल करने के लिए आवेदन कहां करें

किसान भाई इस योजना का लाभ उठाने के लिए किसान उद्यान निदेशालय की आधिकारिक साइट horticulture.bihar.gov.in पर मौजूद 'फसल विविधीकरण योजना' के 'आवेदन करें' लिंक पर जाकर आवेदन कर सकते हैं। इच्छुक किसान आधिक जानकारी के लिए संबंधित जनपद के सहायक निदेशक उद्यान से संपर्क साध सकते हैं।